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Hymn No. 47 | Date: 28-Oct-1996
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आज-कल, आज-कल, आज कल में जग बदला ।
आज-कल, आज-कल, आज कल में जग बदला ।
बदला ना मोरा मन, आज – कल, आज कल ।
इबादत करके थक गया मोरा तन पर बदला ना मोरा मन ।
आज – कल, आज –कल, चाँहा मैंने जग बदले मोरे लिये,
मैं ना बदलूँ जग के लिये, कितना अंधा हो गया स्वार्थ में,
पर बदला ना मोरा मन, आज – कल, आज कल ।
तन की चिंता करूँ, तन से जुडे हुए नातों के लिये चिंतित रहूँ,
कितना बेबस हूँ, अपने मन से, पर बदला ना मोरा मन ।
आज – कल, आज – कल ।
मन के वश में रहकर मन को जान न पाया


- डॉ.संतोष सिंह