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Hymn No. 2857 | Date: 20-Oct-2004
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लोगो की समझ को अपनी समझ न बनाओ, प्रभु की समझ को अपनाओ।
लोगो की समझ को अपनी समझ न बनाओ, प्रभु की समझ को अपनाओ।
पड़ों ना तुम जात पात के फेर मैं, सबसे बड़ा धर्म मानवता को अपनाओ।
संसारगाथा को बतलाने के चक्कर मैं, चुपचाप तुम राम कथा को गाओ।
क्या ना हुआ या क्या होता से परे हो जाओ, जो हो रहा है उसमें रहना सीख जाओ।
हार हारके हारे, जीत जीतके जीते बहुत बार, हार जीत के फेरे से निकलकर प्रभु के बन जाओं।
कमियों का रोना रोना छोड़ो, जो मिला है उसके वास्ते प्रभु को तहे दिल से धन्यवाद देते जाओ।
बहुत अकड के जी लिया, अब अहम् को त्याग के, झुक के झुकाना औरों को जान जाओ।
बुना बहुत जाल दुनिया के वास्ते, अब बुनो प्यार का फसाना प्रभु को फंसाने वास्ते।
ध्यान से लेते जाओ प्रभु नाम, कुछ अंतराल के बाद देखोगे हो गये बेंध्यान दुनिया से।
अंत नहीं है दुनिया का, मर के क्या अंत होगा दुनिया का, जो दुनिया में रहते ना किया तो अंत ना होगा अंत का।


- डॉ.संतोष सिंह