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Hymn No. 2849 | Date: 19-Oct-2004
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पल पल नजरें है किसीकी हमपे, तो है हमारा सद्गुरू।
पल पल नजरें है किसीकी हमपे, तो है हमारा सद्गुरू।
जहां मैं जहाँ जहाँ जाऊं रहता है हर पल वो साथ साथ सदा।
मौत और जन्मों से परे, जो ना छोड़े कभी साथ हमारा।
आहत करते हैं मनमानी करते, फिर भी पाऊँ उसको सदा पास अपने।
कभी पुचकार के तो कभी डांटते, कान पकड़के लेजाये सच्ची राह पे।
बाते बनाते उसके पास पहुँचके, जानते समझते सब मुस्कुराये वो।
जिंदगी के हर हालातों में, सही अंदाज मैं जीना सीखाये वो।
रूठता है कभी तो उपर से, हमारे कर्मों को हंसके सहता जाये वो।
एक बार हाथ जो हमने पकड़, तो साथ छोड़ने पे ना छोड़े साथ कभी।
तपते हुये रेगिस्तान में कहीं ममता की छांव है तो वो मेरे सद्गुरू है।


- डॉ.संतोष सिंह