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Hymn No. 2843 | Date: 14-Oct-2004
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जब जब खो देने का समय आया, तो नम हो आयी आँखे।
जब जब खो देने का समय आया, तो नम हो आयी आँखे।
अंतर से कांप गया अहसास करके, सिहर उठा रोम रोम मेरा।
अलग रहने को बहुत अलग रहा, सच पुछो तो गुजरके गुजरे न पल।
दिल सदमें में डूब जाये, प्रभु तेरे रहते ऐसा क्यों होने पाए।
तूने तो तारा है सबको सदा, हमपे क्यों जाये वार खाली तेरा।
ये कैसी लाचारगी है मेरी, जो तुझको विवश न कर पाऊं।
अकूत सामर्थ्य के आगे, क्या बिसात है इस अधम की।
रोम रोम, रोवे तोरे बिना, मेरा क्या होवे जो न तू चाहे।
राह रोके मेरी सारा जमाना खड़ा है, सबसे आगे मैं खुद खड़ा हूँ।
कृपा कर, कृपा कर ओ संसार के मालिक, दे अकूत मुहब्बत तेरी।


- डॉ.संतोष सिंह