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Hymn No. 24 | Date: 15-Aug-1996
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ओ प्रभु मेरे प्रभु, प्रभु मेरे प्रभु,
ओ प्रभु मेरे प्रभु, प्रभु मेरे प्रभु,
प्रभु मेरे प्रभु, प्रभु मेरे प्रभु ।
नाम तेरे अनेक ; रूप तेरे अनेक,
अमूर्त तू, मूर्त तू ! देह तू, अदेह तू ।
समग्र सृष्टि में समत्व रूप से तू
अनादि तू, अनंत तू, आकाश तू, अवकाश तू ।
समस्त दिक् में, तू ही तू होकर नहीं भी तू ।
दृश्य तू अदृश्य तू, विशाल तू सूक्ष्म तू ।
समस्त ब्रह्माण्ड में समत्व रूप से तू ।
द्रव्य तू, अद्रव्य तू, एक हो कर अलग तू ।
समस्त घट में समत्व रूप से तू ।
रिश्ते तू, नाते तू, गुरू तू, सखा तू ।
समस्त भाव में तू ही तू ।


- डॉ.संतोष सिंह