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Hymn No. 2397 | Date: 19-Jul-2001
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अतरंगी मैं, सतरंगी तेरे प्यार की दुनिया,
अतरंगी मैं, सतरंगी तेरे प्यार की दुनिया,
लुभाये इक ओर वो, दुजी ओर खींचे तू।


मद से भरा मैं, मोहे मुझे तेरी माया।


पर तेरे मिलने से बदल गयी मेरी दुनिया।
कितना भी कोई रोके मुझे, रुक न पाऊँ,
कदम दर कदम बढ़ता तेरी ओर चला जाऊँ,


होता है जिंदगी में बहुत कुछ, पर होता नहीं असर,


जब - जब अपने आपको पाता हूँ तेरे ख्यालों से घिरा।
हर सुबह करता हूँ नये सिरे से शुरूआत,
कल का कोई भान नहीं, करता वर्तमान को तेरे नाम।


पिलाता है तू प्यार से भर भरके प्यार का जाम,


सच पूछो तो रहता नहीं उस पल किसी ओर का ख्याल।
इक इक करके मिट रहे है मेरे अंतर के सवाल,
मानो सवालो से पहले दे रहा है तू सारे जवाब ।


धीरे धीरे बढ़ती जा रही है तेरे प्यार के प्रति ललक,


पल-पल गुजारना मुश्किल होता है जो न हो तू साथ।
जो कल थे मन को लुभाते, भाये न अब वो दिल को,
शहादत देना चाहता हूँ तन मन की, पर जीना नहीं चाहता तेरे बगैर।


- डॉ.संतोष सिंह