VIEW HYMN

Hymn No. 2379 | Date: 06-Jul-2001
Text Size
त्योहारों का त्योहार आया है आज गुरू पुर्णिमा का त्योहार।
त्योहारों का त्योहार आया है आज गुरू पुर्णिमा का त्योहार।
कैसे करू बखान जब महिमा हो इसकी अपरम्पार सदा से।
दिया है उसने आशीर्वाद आज हमको उतिष्ठ होने का जो मिला कई जन्मो के बाद।
कुछ ना मायने था अब तक इस जीवन का, अब तो रंग बदल गया जीने का।
जो देखे थे ख्वाब कई जनमों में, उसको पुरा होने का समय जो आज आ गया।
मुस्कराता हूं न अपने आप पे, हाँ तेरी रहमत पे जो दे दिया इतना बड़ा ईनाम
निगुरा जन्मा न जाने कई बार, पनाह देके बना दिया सगुरा तूने आज ।
विश्वास न होता है मन को, पापों से भरे घड़े को जो तूने एकही वार में तोड़ दिया।
बलिहारी हो प्रभु तेरी, फिर भी कर न पाऊँ अपने सद्गुरू का बखान।
आश्रय जो मिला चरणों में तेरे, निरंतर करता रहूँगा दिल से गुणगान तेरा।


- डॉ.संतोष सिंह