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Hymn No. 2359 | Date: 17-Jun-2001
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चुराना सीख गया अँखियों से, तेरे पास आ आके ।
चुराना सीख गया अँखियों से, तेरे पास आ आके ।
पीना सीख गया नजरों से, नजर में नजर डालके चुपचाप।
मुस्कराना सीख गया निगाहों में तेरे यादों में गुम होकें।
दिल का लेना देना सीख गया नयनों से नैन मटका कर करके।
बैमौसम की बरसात करना आ गया, नैनो का जो छीना चैन तूने।
बेमौसम की बरसात करना आ गया, नैनो का जो छीना चैन तूने।
सूनी निगाहों से यूं ही तकते रहना सीख गया, तेरे यादों में खो खोके।
बिना बोले बितयाना आ गया दिल ही दिल में, तेरे प्यार में डूबते उतराते।
हर सवालों का जवाब जान गया, अंतर में छूपे तुझ पूछ पूछके।
दूरियों को मिटाना आ गया, मन के तारों से तुझे पास खींच खींच के।
जो साध न सका था खुदको, वो भी सध गया प्रियतम मेरे प्यार में रमके।


- डॉ.संतोष सिंह