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Hymn No. 2356 | Date: 14-Jun-2001
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होगा नजर में फेर नजर का कहीं, यहाँ तो दिल में बसेरा है तेरे प्यार का।
होगा नजर में फेर नजर का कहीं, यहाँ तो दिल में बसेरा है तेरे प्यार का।
अंदाज लगा ले कोई कितना भी कुछ, यहाँ तो मन ही मन में चलता है दौर प्यार का।
दोष न है इसमें किसीका, मुखरित जो न हुआ है अभी तक प्यार मेरा।
गुफ्तगु कर ले कोई भी कितनी भी प्यार से, सुपुत्र है जो अभी तक प्यार मेरा।
बरगला गया है कोई तो क्या करुँ, मैं जो खोता जा रहा हूँ खुद को तेरे प्यार में।
लगना लगाना किसी को न है कुछ, लगता है तो माफ करना मुझे लग गया है रोग प्यार का।
सोच समझ किसी की बदल नही सकता, मैं तो खुद बदल रहा हूँ प्रतिक्षण प्यार में तेरे।
दास्तां सुनाना नहीं रहा वश में, कसक लगी रहती है जो हर पल प्यार की तेरे।
इल्जामों से कोई ऐतराज न है मुझे, प्यार से मिले फुरसत तो करूँ कुछ।
मुझे छोड़ दो मेरे हाल पे, अब जो मेरी दुनिया सिमट गयी तेरे प्यार में।


- डॉ.संतोष सिंह