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Hymn No. 2351 | Date: 10-Jun-2001
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मिटने वाली इस दुनिया में बानगी है तो सिर्फ प्यार और ज्ञान की।
मिटने वाली इस दुनिया में बानगी है तो सिर्फ प्यार और ज्ञान की।
मिटता रहा है सब कुछ, मिटने से न रोक सका है कोई और किसीको।
चमचमाता रहा हर दौर में, रहा न मोहताज किसीके ये दोनों।
हर रूह को चैन मिला तो पास इनके जाके, इनसे अलग दुनिया तो लगे झमेला।
बसते है मेरे दिलो दिमाग में, हावी रहता है इनका सुरूर आँखो में।
जो भी कोई आये पास, जीव हो या अजीव झूम उठता है आनंद से।
अपने पराये कि कोई बात नही रहती, अंदाज हो सच्चा सर्मपण का।
रहे तैयारी कुछ कर गुजर जाने की, चाहे होता रहे कुछ, विश्वास हो इतना पक्का।
इक बार जो चला, पीछे इनके, फिर तो हो जाता है ये संग उनके।
रंगत बदल जाती है जीवन की, इंसान होते हुये हो जाता है मुरत प्यार और ज्ञान की।


- डॉ.संतोष सिंह