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Hymn No. 2270 | Date: 19-Apr-2001
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है। प्रेमीयों के प्रेमी चुराये दिल को तू पलक मलकते।
है। प्रेमीयों के प्रेमी चुराये दिल को तू पलक मलकते।
है। आशिकों के आशिक धड़का जाये धड़कन को तू राग छेड़के।
दिवानगी है तेरे प्यार की जो कर न पाये कोई वो कर जाये तू मुस्कुराते।
बदलता है तू सारे संसार को, पल पल तो फिर क्यों मोहताज है ये अदना।
छेड़ता है तू चाहने वालों को यहाँ तो तरसते है तेरी यारी को।
वार करता है तू बेहिचक अपनो और गैरो पे नजरें भर भरके।
यहाँ बगल में बैठ करके रहते है इंतजार में दिल भर भरके।
रहता है तू चूर प्यार में इतना, मौका नहीं देता सामने वालों को वार का।
चलता रहता है प्यार का दौर, इंतजार में हम खाते हैं गम।
इतना भी दम नही मजबूर कर दे, तुझको मुख मोड़ने को


- डॉ.संतोष सिंह