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Hymn No. 2233 | Date: 05-Apr-2001
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कहने को तो कहता है दिल कई बार अपने आप से, तेरे बिन गुजरता नहीं दिन।
कहने को तो कहता है दिल कई बार अपने आप से, तेरे बिन गुजरता नहीं दिन।
कैसे समझाऊँ तुझको समझाना चाहके समझना न चाहे जो मेरा दिल।
बाछें खिल उठती है झलक पाते तेरी, लगता है कही जागते देख बैठा नहीं ख्वाब तो।
अहसास तब दिलाता हूँ अपने आपको, अरे वो कही दूर नहीं वो तो पास है।
सच हो जाते है सारे सपने उसी पल, जो देखे थे तनहाई से भरी रातों में।
काटे नहीं कटता था जो वक्त वो फुर्र हो जाते है, नजरों से नजर मिलते ही।
नैनो की झड़ी लग जाती है यूं ही, सच पूछो तो दिल रहता है उदास न ही खुश।
याद रहता नहीं तब कुछ, बस देखते बह जाने का मन को रहता है चाव।
सारे दाँव उल्टे पड़ जाते है प्यार में जो खेले थे उसको शिकार बनाने के वास्ते।
शिकारी खुद अपने जाल में फँसके फड़फड़ाता है, कब आके दबोच ले हमको।


- डॉ.संतोष सिंह