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Hymn No. 2035 | Date: 14-Oct-2000
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कहता रहूंगा तुझसे दिल का हाल अपने, जब जब चाहेगा तू।
कहता रहूंगा तुझसे दिल का हाल अपने, जब जब चाहेगा तू।
तेरी नजरों में बात हो कितनी भी ओछी, सुनाये बिना मानूँगा नहीं।
उपहास उड़ाती है दुनिया तो कोई मायने न है वास्ते मेरे।
हम तो है इस इंतजार में कब होऊँगा चूर तेरे प्यार में।
कुछ भी हुआ हो कुछ समय के बाद, याद रहता नहीं जमाने को।
मेरी स्मृती में तेरे प्यार के सिवाय कोई अक्ल क्यूँ कर उभरेगी।
दूभर होता जा रहा है जीना, जैसे जैसे करीब आ रहा हूँ तेरे प्यार में।
तमन्ना तो बहुत कुछ कीहै पर साथ न देता है मन।
साकार करना होगा मुरझाये हुये इस पौधे को, नये फूल को खिलाने के वास्ते।
मिला है जब साथ तू तो मंजिल को नही जाने दूंगा हाथ से।


- डॉ.संतोष सिंह