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Hymn No. 1981 | Date: 18-Sep-2000
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तू ही मेरा साई, तू ही मेरा माई पढने ना दे किसी और की छाई मुझ पे।
तू ही मेरा साई, तू ही मेरा माई पढने ना दे किसी और की छाई मुझ पे।
बनाके रख दास या कर दे मेरा नाश, पर रहने दे मुझे तेरे पास।
श्वासों की डोर से न बंधा हूँ मैं तुझसे, सारे मोहपाश को तोड़के मोहित हो जाने दे।
तड़पा तू कितना भी पर चरवाते जाना प्यार तेरा, यार मिल मन को आयाम तेरा।
बनने संवरने की न है कोई चाहत, मैं तो प्यार में बिगड़ जाने आया हूँ।
मत कर तू देर डूबा हूँ मैं अंधेरी गर्त में, पता है देर है मेरी और से ना तेरी और से।
खौफ खाता हूँ अपने आपके ना होने से, तेरे प्यार में कर दे मसरूफ गुमा न हो होने का।
तू कितना भी रूला पर मेरा जुड़ा होना है तुझसे, तेरे बिना तो मैं अपने आप में ना।
झटक ले तू मुझसे मेरा सर्वस्व, तेरे पास रहने की चिंता से हो जाऊंगा मस्त मैं।
मारना जरूर पर प्यार से, आँखें खुली हो उसमें रहे तसवीर तेरी तो होगा सकून दिल को मेरे।


- डॉ.संतोष सिंह