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Hymn No. 1966 | Date: 06-Sep-2000
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बरसे बरसात मारा चारो बाजू, पण बणे हइया प्यार नी आग मा।
बरसे बरसात मारा चारो बाजू, पण बणे हइया प्यार नी आग मा।
तड़पतो फरू छू चारों बाजू, पण सकून मठे मारो मन ने यार नी पासे।
लोकों दया करवा मागे छें, पणं मने तो तलाश छें मोहब्बत भरे हमसफर की।
मदत वी मनें जरूर नथीं, प्यार भरी नजर छे काफी यार पासे पोंचवा माटे।
मुजंवळ मां छु कि लोग, मु तो भोग भोगवता पण जोऊँ छूँ ख्वाबों प्यार नी।
गुरेज हें मारा तौर – तरीकों थी लोगों ने, माफ करजो जाहिल ने न आवें प्यार करवानु ढंग।
शेहरी लोकों मां आ गंवार क्या थी अटक्यों, हईया उडणे तो मुं पण उठांण मांन कहां मूंक्याँ।
मारों मुं ने बनावी लो दास तमें, प्यार नी अरदास मां मंटवा माटे।
सठियाई गइयों छुं बंधानी नजरों मां, कहरना असर नाधाय मुकांम ऊपर पोहचवावक्तों।
अजीज ना आपयों छुं कोणां थी, पण अंजीज ना पासे पहुचवों छें अत्यारें ने अत्यारें।


- डॉ.संतोष सिंह