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Hymn No. 1917 | Date: 04-Aug-2000
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सुना है जमाने से होती है हर चीज की इक् कीमत।
सुना है जमाने से होती है हर चीज की इक् कीमत।
बता दे क्या है तेरी कीमत बिन् चुकाये मानूँगा नहीं।
देखा जाये तो ना है कुछ ऐसा, प्रिय मेरे पास।
तुझसे मांगूगा तेरे अनमोंल खजाने को तुझे पाने के वास्ते।
कुछ न से उपजा हूँ, कुछ ना है मेरी कीमत, तेरी रहमत पे हूँ जिंदा।
ऐ। सब कुछ के मालीक फिर भी रखता हूँ हौसला अपने प्यार से खरीदने का।
मैं बहुत बड़ा ना मुरीद तेरा, पर खरीदूँगा दिल की ताकत से तुझे।
राहे प्यार में हुये है बहुत से हलाक, हम भी तोंड़ेगे तेरी बाहों में दम।
मेरा सीना फौलाद का नहीं तो क्या से, औलाद तो हूँ तेरा।
बक गया अपनी झोंक में तो क्या, रोकना किसी के हाथों में नहीं।


- डॉ.संतोष सिंह