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Hymn No. 1761 | Date: 19-May-2000
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हैरत में पड़ जाते है हम, जब होता है तू सामने।
हैरत में पड़ जाते है हम, जब होता है तू सामने।
उलझन में पड़ जाता है दिल, कौन सी बात कहे तुझसे।
शांत हो जाता है मन अपने आप, तुझे सामने पाके।
खोया रहता है सब कुछ वैसा, न जाने क्यों घिर जाता हूँ आनंद से।
सच पूछो तो कोई ना कारण होता है, अकारण खुश होते है हम।
अजीब बात होती है हमारे साथ सदा, जब से करीब आये तेरे।
संयोगो का नाम दे सकते हो, पर हर बार होता नहीं संयोग।
परदे को सच माना था, परदा उठते सच को कुछ और पाया।
जिया था जिंदगी अब तक, सायों के पीछा करके दौड़ भागके।
जोड़ा जो तूने अपने आप से मुझको, जीने का मतलब बदल गया।


- डॉ.संतोष सिंह