VIEW HYMN

Hymn No. 1653 | Date: 04-Apr-2000
Text Size
ऐ मेरे मौला, मार दे कसके तू जूते चार, तर जाऊँ मैं।
ऐ मेरे मौला, मार दे कसके तू जूते चार, तर जाऊँ मैं।
होना तो नहीं है ऐसा, कह लेने दे तू हमको फरियाद पूरी।
भेजना तू जन्नत या दोजख में, पर न आने देना यादों को तेरी।
घिरा रहूँ कितनी भी बदनसीबी से, पर मस्ती में रह, करूँ याद प्यार को।
दायरे में मेरे ना है तू अगर, मन के दायरे में रहना तू।
कहना ना है कुछ मुझे, ख्याल आते ही कह डालूँ सब कुछ तुझसे।
कंपकंपा जाये मेरी, करना इतना हैरान तू मुझे।
मजा आयेगा किसी ना किसी बहाने याद तू आयेगा।
दुश्वारियों का सिलसिला आता रहे बनके साया।
मगर मन में गिला कोई तुझसे, होने ना देना कभी।


- डॉ.संतोष सिंह