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Hymn No. 1 | Date: 01-Mar-1996
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प्रभो छेडो कोई ऐसा तराना
प्रभो छेडो कोई ऐसा तराना
बन जाये कोई गीत ऐसा ।
जिसे सुनूँ तो आऐ मेरे
आँखों के सामने तेरी ही तसवीर ।
ना है मेरे पास सुर
ना ही मैं हूँ रचयिता ।
सुन सुनकर तेरी
मेरी जुबां से तेरा ही गीत निकल आए ।
भूल बैठूं मैं खुद को ।
बस निकले इस जुबा से तेरा ही अमर गीत गाऊँ ।


- डॉ.संतोष सिंह