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दिनांक: 04-Jan-2013
एक पल, दो पल, घंटों तेरे साये में रहना चाहूँ
पल भर की बिछड़न बर्दाश्त नहीं, अब तो श्वास भी तंग लगने लगे |


- डॉ.संतोष सिंह


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