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दिनांक: 16-Mar-2009
हर कदम पे रोक रही है उफ़ ये दुनियाँ,
चूर हूँ मोहब्बत में, कैसे निभाऊं दस्तूर जिंदगी का |


- डॉ.संतोष सिंह


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