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दिनांक: 02-Jun-2009
नज़रों का भेद मिट जाएगा, तो माया का हर राज़ खुल जायेगा |
एक चेतन बदलते रूपों में, नज़र आएगा |
अनिश्चित जगत में सब कुछ निश्चित है चाहे वो कीतना अचानक हो,
बस एक ही बात आप कीतना तैयार है |


- डॉ.संतोष सिंह


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