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दिनांक: 04-May-2009
’प्रभुजी' मैं तुम में ही खोया हुआ था, कि तुम मिल गए |
यहाँ-वहाँ कही भी न भटका, सीधे-सीधे तुम में मिल गये |


- डॉ.संतोष सिंह


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