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दिनांक: 04-May-2009
ये दगडू प्यार को जीता है, प्यार को पीता है |
तुम ही बताओ, प्यार कोई खाने-पीने की चीज़ है क्या,
और तो और कहता है प्यार में सोता है प्यार में जीता है |
तुम ही बताओ यारों प्यार कोई ओढने-बिछाने वाली चीज़ है क्या? |
हर पल एक ही सुर है प्यार ही प्यार करता है कर्मों के नाम पर |
काम करने से बचने का नायाब तरीका खोजा है इस बेईमान ने |


- डॉ.संतोष सिंह


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