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दिनांक: 11-May-2009
हर पल जश्न मना रहा हूँ, हर पल कहकहा लगा रहा हूँ |
अब दिल मचल गया, अंजाम को पाने के लिए,
देखना है जोर कीतना है कीस्मत की झोली में |
जो कल होना है वो आज हो जाए, मगरूर की मगरूरियत भी टूटे और मज़बूरी भी |


- डॉ.संतोष सिंह


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