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दिनांक: 10-May-2009
आदत हो गयी है तपती दोपहरिया की, तू बता सांझ कैसे रास आये |
जब कोई बहुत अपनापन सा लगता है, (कीसी में), तो समय ख़त्म होने लगता है |


- डॉ.संतोष सिंह


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