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दिनांक: 16-Mar-2001
सनम अब तो न रही हिम्मत, तुझसे कुछ कहने की |
पहले तो कुछ कह भी लेता था नादानियत में,
अब तो गम खा जाता हूँ समझदार बनके।


- डॉ.संतोष सिंह


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