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दिनांक: 20-Apr-2009
मारो ऐसा चीख के विदीर्ण हो जाये रोम-रोम मेरा |
थर्रा जाए जर्रा-जर्रा, जो तुम याद आते हो दर्द में |


- डॉ.संतोष सिंह


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