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दिनांक: 21-Jan-2009
हर पल का जश्न मानना हो तो यहाँ आओ,
मैं की बरबादी पे कहकहा लगाना हो तो यहाँ आओ,
हर हाल में जो हुआ वो अच्छा हुआ कहना होतो यहाँ आओ,
उसके इशारे पे कर गुजरना हो तो यहाँ आओ,
एंड में नहीं कहीं का कहा करना हो तो दूर भाग जाओ,
बंद ये तलवार की धार है आगे बढ़े तो कटना है,
पीछे हटे तो भी कटना है,
जहाँ रहे वहां खड़े रहे तो भी कटना है,
सोच ले संतोष ऐसे कब तक लटकना है?,
'प्रभु जी’ के पास रहना है, तो 'प्रभु’ का होके रहना है |
इसी नियम से तो सबको गुजरना है,
फिर न कोई फरियादों का जन्मना है |


- डॉ.संतोष सिंह


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