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दिनांक: 04-Dec-2004
दूसरों को जाते देख-देखके, जो खुद के जाने की बारी आई |
तो होश उड़ गए ज़िंदगी के, जो खुद के लिए हुए अंजाम को पाया |


- डॉ.संतोष सिंह


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