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दिनांक: 19-Aug-2004
लगन अगन को बढ़ाये, तब जाके प्रीत का पाठ पठ़ा जाए,
कहने को तो ढाई अक्षर की है, फिर भी है सारे ग्रंथों का सार समाये |


- डॉ.संतोष सिंह


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