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दिनांक: 21-Aug-2004
मन मसोस के रह जाता हूँ, जो तेरा कहा कर नहीं पाता हूँ,
उससे भी ज्यादा दिल तब टूट जाता है जब तेरे पास 'खुद' को खड़ा पाता हूँ |


- डॉ.संतोष सिंह


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