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दिनांक: 14-Aug-2004
सच्चा, झूठा, कच्चा,पक्का, हँसता, रोता न जाने कैसा कैसा |
समय के हर दौर में होता है हाल ऐसा अपनी ज़िंदगी का |


- डॉ.संतोष सिंह


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