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दिनांक: 24-Aug-2004
रहमत बरस रही है, प्रभु चारों ओर तेरी इतनी,
जहमत उठाते नहीं जाहिल हैं हम जो इतने भीगने के लिए |


- डॉ.संतोष सिंह


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