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दिनांक: 20-Oct-2003
ऐसी कैसी आशिकी है, जो प्यार को ही राह में भूल जाये |
वो तो लिपट जाना चाहे की कोई फर्क ना कर पाए परछाँई भर का |


- डॉ.संतोष सिंह


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