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दिनांक: 11-Mar-2001
पीते हैं जाम प्यार का, सरेआम लेते हुए तेरा नाम |
बढ़ाते जाना तु कीतना भी दाम, छोड़ेंगे न मौका पीने का |


- डॉ.संतोष सिंह


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