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दिनांक: 26-Apr-2003
बदलते रहते है मन के भाव, प्रतिपल न जाने इतने क्यों
एक क्षण को असीम उर्जावान लगते हैं, तो दूसरे क्षण प्राणहीन से लगते हैं |


- डॉ.संतोष सिंह


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