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दिनांक: 15-Jan-2003
दुनियाँ को रोज़-रोज़ लूटने से अच्छा है, लूट लो एक बार परवर दिगार को |
रोज-रोज के लूटने की छुट जाएगी झंझट, जो लूट लिया हर बार के लिए परवर दीगर को |


- डॉ.संतोष सिंह


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