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दिनांक: 05-Dec-2002
घूमता हूँ कई बार यारों के ख्यालो में यादों के दायरे तोड़ते हुए |
पूछता हूँ तब यार से अपने, कब करोगे साकार प्यार में देखें ख़्वाबों को |


- डॉ.संतोष सिंह


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