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दिनांक: 01-Nov-2002
रब के दर से हर कोई आया हैं श्वासों के पीछे रब को भुलाया है |
घड़ी दो घड़ी जो याद कर ले कोई, उसी के दिल में रब समाया है |


- डॉ.संतोष सिंह


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