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दिनांक: 09-Oct-2002
जजबातों पे काबू ना रखा, बहता रहा कामनाओं में तो कौन बचाए |
कीनारे पे रहकर बढ़ता रहा मझधार की ओर, तो बताओ कौन बचाए |


- डॉ.संतोष सिंह


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