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दिनांक: 06-Oct-2002
ज़िंदगी में जितने है, उतने ही उसके रंग |
पर मोहब्बत के बिना बदरंग है ज़िंदगी भी |
खुशनुमा ढूँढना है तो मत करना प्यार |


- डॉ.संतोष सिंह


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