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दिनांक: 24-Sep-2002
काटो तो खून नहीं, जो जिगर हो हैवानियत से भरा |
आँखों में आये कैसे आँसू, जो अंदर की इंसानियत हो मरी |


- डॉ.संतोष सिंह


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