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दिनांक: 30-May-2002
जिंदा दफन हूँ खाक में, मुलाकात के लिए राख होने की राह देख रहा हूँ |
जिंदा जो मुलाकात न हुयी तो, राख होने पे क्या खाक मुलाकात होगी? |


- डॉ.संतोष सिंह


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