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दिनांक: 04-Feb-2002
गुफ्तगू बहुत की तुझसे, सिला में मिला बहुत कुछ हमको |
तेरी दानत ही तो है, जब बंद थी तब भी तो मेरी कीस्मत थी |


- डॉ.संतोष सिंह


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