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दिनांक: 19-May-2002
गुजर रहा है बिन गुजारे पल, पल भर का अहसास न छोड़ते हमारे मन पे |
टकटकी लगाये देख रहा हूँ तुझे, स्थिर होंठ कब साथ देंगे सुरों का |


- डॉ.संतोष सिंह


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