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दिनांक: 11-May-2002
मैं कोई सौदागर नही, जो कर सकूँ सौदा अपने प्यार का |
न ही मैं कोई छलिया हूँ, जो छल से चुरा ले जाऊँ तेरे दिल को |
न ही मेरी फितरत में है 'प्यार', जो देखते दिल दे दूँ कीसी को अपना |
मैं तो उन लाखों करोड़ों में से एक हूँ, जो बनना चाहते हैं हमदम तेरा |


- डॉ.संतोष सिंह


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