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दिनांक: 11-May-2002
जहालत से भरी जिंदगी को चुपचाप जिए जा रहा हूँ |
पर प्यार के अंजाम की और चुपचाप बढ़ते जा रहा हूँ |


- डॉ.संतोष सिंह


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