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दिनांक: 07-Dec-2001
तुझे कातिल कहूँ या तेरी नज़रों को, जो वार पे वार करतीं हैं अपनाये |
चाहे कोई करे प्यार या सजदा नज़रों के चार होते ही करती है वार अपनों पे |


- डॉ.संतोष सिंह


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