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दिनांक: 05-Dec-2001
तेरी रुसवाई जो ख़त्म ना होगी, तो कैसे गुजरेगी ज़िंदगी
समझ रहते जो तू ना मिला तो, कैसे बदलेगी ज़िंदगी |


- डॉ.संतोष सिंह


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